बुजुर्ग एक अमूल्य धन
सभी मित्रों को नमस्कार 🙏 कैसे हैं आप सभी.? उम्मीद है आप सभी खुश होंगे । आज के शुरूआती लेख में मै पूर्वजो में संचित बहुमूल्य अकूत ज्ञान एवं उनसे बात का एक अंश साझा कर रहा हूँ। .... हर शनिवार की भांति आज भी मै अपने दादा - दादी से मिलने पहुँचा , पूर्व की तरह जैसे ही उन्होने मुझे देखा उनके चेहरे प्रफुलित हो गये। हो भी क्यो ना ..उनका अपनापन जो दिख गया था। यही अमिट जुडाव है जो मुझे उनसे मिलने के लिए हर पल लालायित करता है । हाल चाल पूछा ही गया था कि उसके तुरंत बाद दादी ने बड़ी व्याकुलता से अपने पैरों के दर्द के बारे में मुझे बताया , मैंने उनसे यह बुढ़ापे का स्वाभाविक गुण बताया , उनकी प्रतिक्रिया ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया कि यह सब हाल के वर्षों में दूषित सब्जियों एवं खानपान का परिणाम है साथ ही उन्होंने इस पर आज की पीढ़ी पर पड़ने वाले स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणामों पर एक-एक करके विस्तृत विवरण सामने रख दिया एवं लगे हाथ अस्तित्व विहीन हो चुके मोटे अनाजों ( ज्वार, बाजरा की रोटी) एवं शुद्धता से की जाने वाली कृषि का संपूर्ण विवरण समझा दिया। इसके पूर्व भी जब भी मैं दादा दादी के साथ बैठता तब भी ऐसे ...