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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाल उत्पीड़न और छेड़छाड़

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वर्तमान समय में भारत ही नहीं विश्व का कोई भी देश बाल उत्पीड़न से अछूता नहीं रहा है ,इससे न केवल मासूम बच्चों का जीवन प्रभावित होता है बल्कि समाज  व देश  का भविष्य भी अंधकारमय की ओर अग्रसर हो जाता है |इन सभी कारणों में अशिक्षा को बाल शोषण का जनक न माना जाए तो बेमानी होगी |   प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति में बच्चों के मन को  पवित्र  माना जाता है परंतु वर्तमान भौतिक समय से इनके प्रति अपराधों में गुणोत्तर प्रवृत्ति को देखा गया है, जिनको भारत के वार्षिक राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो के आंकड़ों से पुष्ट किया जा सकता है |यह आंकड़े बाल अपराध के प्रति भयावह रूप को दर्शाते हैं ,जिसको देखते हुए परिजनों एवं संपूर्ण समाज को जागरूक हो जाने की त्वरित आवश्यकता है |                                         18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डर ,आतंक ,जबरदस्ती आदि के माध्यम से उनको बाल मजदूरी कराना ,बाल विवाह ,तस्करी ,यौन दुर्व्यवहार आदि के माध्यम से उनका शा...

एक मुस्कुराहट

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आज यात्रा के लिए स्टेशन पर था ,सभी लोगों के तरीके मैं भी एक कोने में बैठा अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहा था | इस मोबाइल युग में मैं भी अपने फोन में टिक टिक कर रहा था , तभी एक मासूम सी बच्ची मेरे पास आई जिसके हाथ में कुछ गुब्बारे थे और वह मुझसे उन गुब्बारों में से एक लेने को कह रही थी उस समय मुझे उन गुब्बारों की कोई आवश्यकता नहीं थी जिसके कारण मैंने उसको किसी अन्य को बेचने को कहा वह बेचारी वहां से निकल गई क्योंकि वह मेरे पास आई थी इसलिए मैं उसकी तरफ एकटक नजर लगाया था और देख रहा था कि उसके गुब्बारे बिक रहे हैं या नहीं | उस प्लेटफार्म में वह दोबारा उसी जगह पर आ गई थी जहां से वह मेरे पास से गुजरी थी और मैंने उसके हाथों में उतने ही गुब्बारे देखें, मासूम सी बच्ची की उम्र महज 8 से 9 वर्ष रही होगी यह ऐसी उम्र थी जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते हैं और वह बच्ची उस उम्र में उन खिलौनों के रूप मे गुब्बारों को बेच रही थी मैंने उसको अपने पास बुलाया और अपने पर्स से निकालकर ₹10 दिया वह उनके बदले तुरंत दो गुब्बारे निकाली मुझे देने लगी गुब्बारों की मुझे कोई आवश्यकता नहीं थी मैंने उन गुब्बारों को किसी अन्...