एक मुस्कुराहट
आज यात्रा के लिए स्टेशन पर था ,सभी लोगों के तरीके मैं भी एक कोने में बैठा अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहा था | इस मोबाइल युग में मैं भी अपने फोन में टिक टिक कर रहा था , तभी एक मासूम सी बच्ची मेरे पास आई जिसके हाथ में कुछ गुब्बारे थे और वह मुझसे उन गुब्बारों में से एक लेने को कह रही थी उस समय मुझे उन गुब्बारों की कोई आवश्यकता नहीं थी जिसके कारण मैंने उसको किसी अन्य को बेचने को कहा वह बेचारी वहां से निकल गई क्योंकि वह मेरे पास आई थी इसलिए मैं उसकी तरफ एकटक नजर लगाया था और देख रहा था कि उसके गुब्बारे बिक रहे हैं या नहीं | उस प्लेटफार्म में वह दोबारा उसी जगह पर आ गई थी जहां से वह मेरे पास से गुजरी थी और मैंने उसके हाथों में उतने ही गुब्बारे देखें, मासूम सी बच्ची की उम्र महज 8 से 9 वर्ष रही होगी यह ऐसी उम्र थी जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते हैं और वह बच्ची उस उम्र में उन खिलौनों के रूप मे गुब्बारों को बेच रही थी मैंने उसको अपने पास बुलाया और अपने पर्स से निकालकर ₹10 दिया वह उनके बदले तुरंत दो गुब्बारे निकाली मुझे देने लगी गुब्बारों की मुझे कोई आवश्यकता नहीं थी मैंने उन गुब्बारों को किसी अन्य से बेचने को कहा वह बच्ची इतनी सहज सरल और दयालु थी कि वह मुझसे बोली भैया आप यह सब गुब्बारे ले लो मुझे पैसे इसके बदले नहीं चाहिए इतना सुना ही था की मेरे अंदर अचानक दिल के तार तरंगित हो गए यह बच्ची जो 1-1 गुब्बारे बेचकर अपना जीवन यापन कर रही थी और ₹10 के बदले उसने मुझे सारे गुब्बारे ले लेने को कहीं | सच में उसका यह सब सहज निर्मल हृदय की आवाज थी |आपसे यह प्रसंग इसलिए साझा कर रहा हूं कि अगर हम सच्चे मन से किसी की सहायता करते हैं तो सामने वाला भी हमारे लिए सब कुछ करने के लिए आत्मासमर्पित रहता है चाहे वह किसी भी आयु का किसी भी परिस्थिति में क्यों ना हो | अतः स्वेच्छा से आपके पास जो कुछ भी हो हर समय आवश्यकतित की सहायता अवश्य करें सच में उसकी एक छोटी सी मुस्कुराहट सुकून देगी|
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