बाल उत्पीड़न और छेड़छाड़
वर्तमान समय में भारत ही नहीं विश्व का कोई भी देश बाल उत्पीड़न से अछूता नहीं रहा है ,इससे न केवल मासूम बच्चों का जीवन प्रभावित होता है बल्कि समाज व देश का भविष्य भी अंधकारमय की ओर अग्रसर हो जाता है |इन सभी कारणों में अशिक्षा को बाल शोषण का जनक न माना जाए तो बेमानी होगी | प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति में बच्चों के मन को पवित्र माना जाता है परंतु वर्तमान भौतिक समय से इनके प्रति अपराधों में गुणोत्तर प्रवृत्ति को देखा गया है, जिनको भारत के वार्षिक राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो के आंकड़ों से पुष्ट किया जा सकता है |यह आंकड़े बाल अपराध के प्रति भयावह रूप को दर्शाते हैं ,जिसको देखते हुए परिजनों एवं संपूर्ण समाज को जागरूक हो जाने की त्वरित आवश्यकता है | 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डर ,आतंक ,जबरदस्ती आदि के माध्यम से उनको बाल मजदूरी कराना ,बाल विवाह ,तस्करी ,यौन दुर्व्यवहार आदि के माध्यम से उनका शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक शोषण करना सभी बाल उत्पीड़न की श्रेणी में गिने जाते हैं| बाल अपराध के संबंध में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं की रिसर्च रिपोटाओं से पता चलता है कि बाल उत्पीड़न के रूप यौन उत्पीड़न में अधिकतर नजदीकी रिश्तेदार ,पड़ोसी की संलिप्तता होती है जिसको बच्चे डर ,भय लज्जा आदि विभिन्न कारणों से अपने माता-पिता को नहीं बता पाते हैं | जिससे मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर बच्चे डर का जीवन जीने के लिए विवश हो जाते हैं यह बच्चे शोषित होकर अपना संपूर्ण जीवन गुस्से ,प्रतिशोध के भाव मे कुंठित होकर आदि में व्यतीत कर देते हैं कई बार तो यह बच्चे अपराधिक प्रवृत्ति का रूप धारण कर लेते हैं साथ की बहुत सारे बच्चे मानसिक रोगी तथा डिप्रेशन में चले जाते हैं इस संबंध में वर्तमान समाज को चिंतन करना अति आवश्यक है। इनके निवारण के संबंध में अगर बात की जाए तो प्राथमिक विद्यालय स्तर से ही बाल शोषण के संबंध में इसको एक विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए साथ ही खेल गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को इस संबंध में जागरूक किया जाना चाहिए | माता पिता को भी अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करते हुए सारी जानकारी अपने पास रखना चाहिए ,वह प्यार से समय-समय पर इनसे इस संबंध में बात करना चाहिए परिजनों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को ऐसे वीडियो क्लिप्स दिखाएं जिससे बच्चे इस संबंध में स्वतः जागरूक हो जाएं इसके संबंध में आमिर खान द्वारा कृत सत्यमेव जयते का एक एपिसोड इसी संबंध में कारगर साबित हो सकता है ऐसे ढेर सारी सामग्री हमारे आसपास आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं इसके संबंध में सरकार को भी चाहिए कि कि वह नैतिकता के स्तर पर समाज के धरातल पर लोगों से इस संबंध में चर्चा करने के लिए आवाहन करने के लिए प्रेरित करें | साथ ही protection of children against sexual offence act (pocso) 2012 को समय-समय पर आवश्यकतानुसार मूल्यांकन करना चाहिए जिसको हाल ही में पॉक्सो एक्ट 2012 में संशोधन कर पॉक्सो एक्ट 2019 संवर्धित act बनाया गया है जिसमें और अधिक कठोर दंड शामिल किया गया है | इसके उन्मूलन करने में सबसे बड़ी भूमिका शिक्षा है ,शिक्षा ही वह माध्यम है जिसके माध्यम से समाज के जन-जन तक नैतिकता के विचारों को भरा जा सकता है जिससे अति व्यापी भौतिकता को समाप्त कर प्राचीन संस्कृति को पुनर्जीवित कर सकते हैं जिसमें बच्चे ही संपूर्ण मानव समाज का केंद्र होते थे | इन्हीं बच्चों के माध्यम से ही किसी भी समाज का भविष्य निर्धारित होता है अतः भारत को अगर विश्व पटल में अपने आप को पुनः स्थापित करना है तो इस संबंध में प्रखर रूप से सोचने की आवश्यकता है |धन्यवाद आपका संदीप सिंह
सराहनीय.... ..
जवाब देंहटाएंAccording to Abraham linclon "if someone wants to know one's country future , he have to look it's present children Status".
जवाब देंहटाएंgood for social
जवाब देंहटाएंSir social security pr notes banaye
जवाब देंहटाएं